रीवा

Rewa news, भ्रष्टाचार के मामलों में अधीक्षण यंत्री की भूमिका पर उठे सवाल।

Rewa news, भ्रष्टाचार के मामलों में अधीक्षण यंत्री की भूमिका पर उठे सवाल।

ग्रामीण यांत्रिकी सेवा संभाग रीवा के अधीक्षण यंत्री अतुल चतुर्वेदी पर भ्रष्टाचार बढ़ाने का लगा आरोप।

वसूली और जांच प्रतिवेदन अधिकारियों की आलमारी में दफन, मढ़ी कला, रायपुर, खारा आदि पंचायतों की जांच उपरांत कार्यवाही में की जा लीपापोती।

रीवा। जिले के ग्रामीण यांत्रिकी सेवा संभाग रीवा में व्यापक पैमाने पर भ्रष्टाचार देखने को मिल रहा है आलम यह हैं की कमिश्नर रीवा संभाग कार्यालय से अधीक्षण यंत्री ग्रामीण यांत्रिकी सेवा के नाम पर भेजी गयी जांचों में लगातार लीपापोती की जा रही है यह कार्य कोई और नहीं बल्कि स्वयं अधीक्षण यंत्री अतुल चतुर्वेदी पर करने के आरोप लगाया गया है सामाजिक कार्यकर्ता शिवानंद द्विवेदी ने वर्तमान अधीक्षण यंत्री अतुल चतुर्वेदी पर लगातार भ्रष्टाचार को संरक्षण देने का आरोप लगाया है. मामला बड़ा ही गंभीर है जिसमे शिवानंद द्विवेदी ने बताया की पिछले एक वर्ष से रीवा संभाग में ग्रामीण यांत्रिकी सेवा में पदस्थ अधीक्षण यंत्री अतुल चतुर्वेदी द्वारा कोटेसन निविदा प्रक्रिया और इसके बाद समय पर कार्य न पूर्ण करने वाली निर्माण एजेंसियों पर जुर्माने और अर्थदंड 10 प्रतिशत तक न लगाकर मात्र एक अथवा 2 प्रतिशत अर्थदंड लगाकर अथवा बिना किसी दंड के शेष लेनदेन कर मामलों को रफा दफा कर दिया जाता है. इसी प्रकार अतुल चतुर्वेदी जिस दिन से रीवा संभाग में पदस्थ हुए हैं कुछ न कुछ मेडिकल बहाना बनाकर कार्यालय से लापता रहते हैं जिससे सभी प्रकार के कार्य प्रभावित रहते हैं. सामान्य पत्रों को भी इधर से उधर करने के लिए कोई प्रभार में नहीं रहता है जिसका नतीजा यह है वर्षीं से जांचें लंबित पड़ी हुई हैं और जिन पंचायतों की जाँच रिपोर्ट आ चुकी है उनको भी यह सब दबाकर बैठे हुए हैं.

रायपुर और खारा पंचायत की जाँच पर सवाल।

श्री द्विवेदी द्वारा आरोप लगाया गया है की अधीक्षण यंत्री अतुल चतुर्वेदी त्योंथर की रायपुर सहित सिरमौर की खारा पंचायत की जाँच रिपोर्ट सबमिट होने के बाद भी उन पर नाग की तरह कुंडली मारकर बैठे हुए हैं. अब इस कुंडली की क्या वजह है यह तो नहीं पता लेकिन सूत्रों का कहना है की जाँच रिपोर्ट आने के बाद उनमे बारगेनिंग का भी काम अधीक्षण यंत्री कार्यालय में चल रहा है. इस बारगेनिंग में बकायदे बाबुओं को लगा रखा है जिसमे रमा निवास पटेल नमक सहायक ग्रेड 04 का नाम सबसे पहले आता है जिस पर तत्काल कार्यवाही की माग की गई है.

अधीक्षण यंत्री की कार्यालय में अनुपस्थि पर सवाल।

श्री द्विवेदी ने कहा कि बड़ा सवाल यह है की आखिर अधीक्षण यंत्री अतुल चतुर्वेदी ग्रामीण यांत्रिकी सेवा संभाग रीवा में कार्यालय से क्यों अनुपस्थित रहते हैं और यदि यह मेडिकल कारणों बस अथवा किन्ही कारणों से छूटी में हैं तो इनके स्थान पर कार्यालय का काम काज कौन देखता है? क्या इतने बड़े संभागीय स्तर पर कार्यालय की निगरानी और सीट संचालन करने वाला कोई नहीं होना चाहिए यह बड़ा सवाल है. जानकारी अनुसार जब भी अधीक्षण यंत्री अतुल चतुर्वेदी कार्यालय में अनुपस्थित रहते हैं तो कार्यालय का काम काज पूरी तरह से ठप्प पडा रहता है और बाबू से लेकर सभी कर्मचारी बेलगाम रहते हैं.

कार्यालय में बाबू और कर्मचारी टांग फैलाये फरमाते हैं आराम।

देखा जाए तो कभी भी अधीक्षण यंत्री कार्यालय संभाग रीवा कोई जाए तो कर्मचारी अपनी सीट पर काम करते हुए नहीं मिलेगा कोई मोबाइल में पिक्चर देखते हुए देखा जाता है तो कोई न्यूज़ देखते हुए मिलेगा तो कोई गाना बजाना सुनते हुए तो कोई टांग कुर्सी पर रखे हुए सोते हुए तो कोई जमुहाते हुए तो कोई अपनी सीट पर अनुपस्थित तो कोई कार्यालय के सामने स्थित चाय पान की दूकान में चाय पान करते हुए तो कोई गप्प मारते हुए यही आये दिन रोज की इन बाबुओं और कर्मचारियों की दिनचर्या है. अब बड़ा सवाल यह है की इतने कर्मचारियों से लैस अधीक्षण यंत्री कार्यालय में आखिर इनकी निगरानी और इनके कार्यों की जिम्मेदारी का बटवारा कौन करता है? जाहिर है यदि अधीक्षण यंत्री ही अपनी सीट से वर्षों से लापता हैं तो इन छोटे मोटे कर्मचारियों पर लगाम कौन लगाएगा? कौन इनके कार्यों और जिम्मेदारियों का बटवारा करेगा?

अधीक्षण यंत्री अतुल चतुर्वेदी को हटाने की मांग।

सामाजिक कार्यकर्त्ता शिवानंद द्विवेदी ने शासन प्रशासन से अधीक्षण यंत्री से मांग करते हुए कहा कि ग्रामीण यांत्रिकी सेवा संभाग रीवा के वर्तमान अधीक्षण यंत्री अतुल चतुर्वेदी को एक अक्षम और अयोग्य अधिकारी बताते हुए इनकी कार्यशैली पर बड़ा प्रश्नचिन्ह लगाते हुए इन्हें रीवा संभाग से न केवल हटाये जाने की माग की है बल्कि इनके विरुद्ध अनुशासनात्मक कार्यवाही की भी माग की है. उन्होंने बताया की अतुल चतुर्वेदी के कार्यकाल के दौरान सभी पेंडिंग पड़ी शिकायतों की स्क्रूटिनी होनी चाहिए और इनके द्वारा किये गए टेंडर निविदा कार्यों एवं समय पर कार्य न पूरा करने वाली निर्माण एजेंसियों सहित सभी कार्यों की समीक्षा की जानी चाहिए और यह कार्यालय से कब कब और क्यों अनुपस्थित रहे हैं और इनकी अनुपस्थिति में कौन प्रभार में रहा है और क्यों पेंडिंग पड़े कार्यों आवेदनों और शिकायतों पर कार्यवाही नहीं हुई और इसके लिए कौन कौन जिम्मेदार है सभी को चिन्हित करते हुए अनुशासनात्मक कार्यवाही किया जाना चाहिए।

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